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कब्ज़ क्यों होती है? जानिए इसके आम कारण जो हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं?

कब्ज़ एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। जानिए इसके पीछे के मुख्य कारण, जैसे फाइबर की कमी, पानी की कमी, तनाव और दिनचर्या से जुड़ी आदतें।

फाइबर की कमी से कब्ज़ क्यों होती है?

  • फाइबर हमारी पाचन क्रिया को सुचारू बनाए रखने में मदद करता है। यह हमारे भोजन को आंतों में आगे बढ़ने में सहायता करता है और मल को नरम बनाए रखता है।
  • जब आप अपने भोजन में पर्याप्त मात्रा में रेशेदार चीज़ें नहीं खाते जैसे फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज आदि, तो मल सख्त हो जाता है और आसानी से बाहर नहीं निकलता।
  • यही कब्ज़ की एक प्रमुख वजह बन जाती है।

शरीर में पानी की कमी से कब्ज़ कैसे होती है?

  • हमारा पाचन तंत्र ठीक तरह से काम करे, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बेहद ज़रूरी है।
  • अगर आप कम पानी पीते हैं, तो शरीर आंतों से अधिक मात्रा में पानी सोख लेता है,
  • जिससे मल सूखकर सख्त हो जाता है और बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति लगातार बनी रहे तो पुरानी कब्ज़ बन सकती है।

क्या अधिक देर तक बैठना कब्ज़ की वजह बन सकता है?

  • जी हाँ, एक ही जगह घंटों बैठने या कोई शारीरिक गतिविधि न करने से आंतों की गति धीमी हो जाती है।
  • इससे पाचन धीमा होता है और मल लंबे समय तक आंतों में रुका रह जाता है।
  • नियमित रूप से व्यायाम या हलचल करने से आंतों की क्रियाशीलता बढ़ती है, जिससे मल समय पर बाहर निकल पाता है।

मानसिक तनाव और कब्ज़ का क्या संबंध है?

  • तनाव और चिंता का सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है।
  • जब हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं, तो पेट की मांसपेशियाँ तनाव में आ जाती हैं, जिससे आंतों की गति धीमी हो जाती है।
  • इससे पाचन प्रभावित होता है और कब्ज़ की समस्या शुरू हो सकती है। इसलिए मानसिक शांति और पर्याप्त नींद पाचन के लिए जरूरी है।

क्या जीवनशैली कब्ज़ का कारण बन सकती है?

  • बिलकुल, अनियमित दिनचर्या, देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना, समय पर भोजन न करना और जंक फूड अधिक खाना – ये सब आदतें कब्ज़ की जड़ बन सकती हैं।
  • इसके अलावा, चाय-कॉफी और तली-भुनी चीज़ों का अत्यधिक सेवन भी पाचन को बिगाड़ता है।

बार-बार खाना स्किप करने से कब्ज़ क्यों हो सकती है?

  • कई लोग व्यस्त दिनचर्या के कारण समय पर भोजन नहीं करते या कभी-कभी एक समय का खाना छोड़ देते हैं।
  • इससे पाचन तंत्र की नियमितता टूट जाती है। जब शरीर को समय पर खाना नहीं मिलता, तो पाचन रसों का उत्पादन गड़बड़ा जाता है, जिससे कब्ज़ की समस्या जन्म लेती है।
  • पेट खाली रह जाने से आंतों की गतिविधि धीमी हो जाती है और मल जमा हो जाता है।

अधिक तैलीय और प्रोसेस्ड फूड खाने से कब्ज़ की समस्या कैसे बढ़ती है?

  • फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स, बिस्कुट, पिज़्ज़ा, बर्गर जैसी चीज़ों में फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है और इनमें वसा (fat) ज्यादा होती है।
  • ये खाद्य पदार्थ पचने में अधिक समय लेते हैं और आंतों की गति को धीमा कर देते हैं। इससे मल सख्त हो जाता है और उसे बाहर निकालने में कठिनाई होती है।

कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में कब्ज़ कैसे होती है?

  • कई बार हम जो दवाएं लेते हैं – जैसे दर्द निवारक (painkillers), आयरन या कैल्शियम की गोलियां, एंटीडिप्रेसेंट या ब्लड प्रेशर की दवाएं – वे कब्ज़ पैदा कर सकती हैं।
  • इन दवाओं का असर पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देता है और आंतों की मांसपेशियों को सुस्त बना देता है।

हार्मोनल बदलाव भी कब्ज़ के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं?

  • हाँ, खासकर महिलाओं में मासिक धर्म, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज़ के दौरान हार्मोन में बदलाव होते हैं,
  • जो पाचन क्रिया पर असर डालते हैं। इन दिनों में कब्ज़ की समस्या आम होती है।
  • इसके अलावा थायरॉइड जैसी हार्मोन संबंधी बीमारियाँ भी कब्ज़ का कारण बन सकती हैं।

उम्र बढ़ने के साथ पाचन धीमा क्यों हो जाता है?

  • जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, आंतों की मांसपेशियाँ कमजोर होती जाती हैं और उनकी गति धीमी हो जाती है।
  • बुजुर्गों में पानी पीने की इच्छा कम हो जाती है, फाइबर की मात्रा घट जाती है और दवाओं की संख्या बढ़ जाती है।
  • ये सभी कारण मिलकर कब्ज़ को एक सामान्य परेशानी बना देते हैं।

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