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कब्ज़ के लिए कौन-कौन से आयुर्वेदिक चूर्ण और जड़ी-बूटियाँ असरदार हैं?
प्राकृतिक तरीके से कब्ज़ से राहत पाने के लिए अपनाएं ये असरदार आयुर्वेदिक उपाय।

आयुर्वेद में कब्ज़ को कैसे समझा गया है?
- आयुर्वेद में कब्ज़ को “विबंध” कहा गया है। यह तब होता है
- जब शरीर में वात दोष बढ़ जाता है और आंतों की प्राकृतिक गति धीमी हो जाती है।
- इसका मतलब यह है कि जब पाचन तंत्र में सही समय पर मल नहीं निकलता, तो पेट भारी लगता है, गैस बनने लगती है, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और थकावट महसूस होती है।
- आयुर्वेद मानता है कि कब्ज़ शरीर के संतुलन को बिगाड़ देता है, इसलिए इसे जड़ से ठीक करना जरूरी होता है।
त्रिफला कब्ज़ में कैसे काम करता है और इसका सेवन कैसे किया जाए?
- त्रिफला तीन फलों — हरड़, बहेड़ा और आंवला — से बना होता है। इसका सबसे खास गुण यह है कि यह आंतों की सफाई करने में मदद करता है, बिना किसी साइड इफेक्ट के। त्रिफला कब्ज़ की जड़ पर काम करता है, पेट को शांत करता है और पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है।
- कैसे लें:
- आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लें।
- नियमित सेवन से सुबह पेट बिल्कुल साफ होता है।
इसबगोल कैसे कब्ज़ में राहत देता है और क्या इसके कोई नुकसान हैं?
इसबगोल एक फाइबर-युक्त भूसी है जो पानी के साथ मिलते ही जेल जैसा बन जाता है। यह जेल आंतों के भीतर मल को नरम बनाता है और मल त्याग को आसान कर देता है। यह न तो गैस बनाता है, न ऐंठन — इसलिए इसे बहुत सुरक्षित माना जाता है।
कैसे लें:
- 1-2 चम्मच इसबगोल को एक गिलास गुनगुने पानी या दूध में मिलाकर रात को लें।
सावधानी: - इसे लेने के बाद हमेशा पानी जरूर पिएं, नहीं तो उल्टा असर हो सकता है।
अजवाइन, सौंफ और हिंग – क्या ये छोटी चीजें सच में काम करती हैं?
जी हां, ये छोटी-छोटी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ कब्ज़ में बहुत बड़ा असर डाल सकती हैं।
- अजवाइन: इसमें थाइमोल होता है जो पेट की गैस को खत्म करता है और आंतों को एक्टिव करता है।
- सौंफ: पाचन एंजाइम्स को एक्टिव करती है, जिससे खाना जल्दी पचता है और कब्ज़ नहीं होता।
- हिंग: एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाली होती है, गैस और सूजन कम करती है।
कैसे लें:
- 1/2 चम्मच अजवाइन या सौंफ गर्म पानी में डालकर रात को पी सकते हैं।
- हिंग को छाछ में या सब्ज़ी में डालकर रोज खाएं।
क्या सनाय और गिलोय जैसी औषधियाँ जल्दी राहत देती हैं?
- सनाय की पत्तियाँ एक प्राकृतिक लैक्सेटिव हैं, जो आंतों की मांसपेशियों को उत्तेजित करती हैं और तुरंत पेट साफ करने में मदद करती हैं। लेकिन इनका उपयोग सावधानी से करना चाहिए क्योंकि ये कभी-कभी पेट दर्द या दस्त भी करवा सकती हैं।
- गिलोय: यह शरीर को डिटॉक्स करता है और पाचन में मदद करता है। इसका रस या गोली रूप फॉर्म में लिया जा सकता है
- कैसे लें:
- सनाय की पत्तियाँ सप्ताह में 1–2 बार गर्म पानी में उबालकर लें।
- गिलोय का रस 15-20 ml रोज सुबह खाली पेट लें।
कब्ज़ से बचाव के लिए क्या आदतें जरूरी हैं?
सिर्फ औषधियाँ ही नहीं, आपकी दिनचर्या भी बहुत मायने रखती है।
- रोज़ 8–10 गिलास पानी पिएं
- सुबह जल्दी उठकर टहलें या हल्का योग करें
- अधिक तला-भुना और प्रोसेस्ड खाना बंद करें
- भोजन में सलाद, फल और फाइबर ज़रूर शामिल करें
- एक निश्चित समय पर टॉयलेट जाना शुरू करें