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क्रॉनिक कब्ज़ का समाधान: हेल्दी डाइट और असरदार घरेलू नुस्ख़े:

क्या बादाम क्रॉनिक कब्ज़ के लिए अच्छे होते हैं?

  • बादाम फाइबर, हेल्दी फैट्स और मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं।
  • नियमित रूप से भीगे हुए बादाम खाने से आंतों की गति तेज़ होती है और मल त्याग आसान हो जाता है।
  • इनमें मौजूद फाइबर कब्ज़ को कम करने में मदद करता है जबकि हेल्दी फैट्स आंतों को चिकनाई देते हैं।
  • अगर कोई व्यक्ति रोज़ाना सुबह 4–5 भीगे हुए बादाम खाए और पर्याप्त पानी पिए तो
  • क्रॉनिक कब्ज़ से धीरे-धीरे राहत मिलने लगती है।
  • इसके अलावा बादाम में मैग्नीशियम होता है जो आंतों की मांसपेशियों को आराम देता है और
  • मल को आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है।
  • हालांकि कब्ज़ से राहत पाने के लिए बादाम को हमेशा भिगोकर खाना चाहिए क्योंकि छिलके वाले बादाम कभी-कभी पचने में भारी हो जाते हैं।
  • अगर कोई व्यक्ति रोज़ाना सुबह 4–5 भीगे हुए बादाम खाता है और साथ ही पर्याप्त पानी पीता है तो उसका पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और क्रॉनिक कब्ज़ की समस्या धीरे-धीरे कम होने लगती है।

क्या अंजीर कब्ज़ में फायदेमंद है?

  • अंजीर प्राकृतिक फाइबर का अच्छा स्रोत है।
  • सूखी अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाने से आंतें साफ़ रहती हैं और कब्ज़ की समस्या नहीं होती।
  • इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार का फाइबर होता है,
  • जो मल को नरम करता है और उसे आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है।
  • अंजीर खाने से पेट हल्का महसूस होता है और लंबे समय तक कब्ज़ की परेशानी दूर रहती है।

क्या पानी पीने से कब्ज़ दूर हो सकता है?

हाँ, पानी कब्ज़ दूर करने में सबसे ज़्यादा असरदार होता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मल नरम रहता है और आंतों में आसानी से आगे बढ़ता है। अगर पानी कम पिया जाए तो मल सूख जाता है और क्रॉनिक कब्ज़ की समस्या बढ़ जाती है। रोज़ाना 8–10 गिलास पानी पीना पाचन को सही रखने और कब्ज़ से बचाने के लिए बहुत ज़रूरी है।

क्या केले का सेवन कब्ज़ में सही है?

  • पके हुए केले कब्ज़ के लिए अच्छे होते हैं क्योंकि इनमें फाइबर और पोटैशियम होता है।
  • यह आंतों को सक्रिय रखते हैं और पाचन क्रिया को संतुलित बनाते हैं।
  • लेकिन कच्चे केले कब्ज़ को और बढ़ा सकते हैं, इसलिए कब्ज़ से पीड़ित लोगों को पके हुए केले ही खाने चाहिए।
  • सुबह नाश्ते में केला खाने से दिनभर पेट साफ़ रहता है।

क्या दही कब्ज़ में फायदा करता है?

  • दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों के लिए अच्छे बैक्टीरिया हैं।
  • यह बैक्टीरिया पाचन को दुरुस्त रखते हैं
  • और कब्ज़ की समस्या को कम करते हैं।
  • दही का नियमित सेवन आंतों में संतुलन बनाए रखता है और क्रॉनिक कब्ज़ की परेशानी को दूर करने में मदद करता है।
  • दही में काला नमक या जीरा डालकर खाना और भी फायदेमंद होता है।

क्या ओट्स कब्ज़ को ठीक करने में मददगार हैं?

  • ओट्स सॉल्युबल फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत हैं।
  • यह फाइबर पेट में पानी को सोखकर जेल जैसा पदार्थ बना देता है जिससे मल नरम हो जाता है।
  • रोज़ाना नाश्ते में ओट्स खाने से पाचन सुधरता है और आंतों की सफाई आसानी से हो जाती है।
  • क्रॉनिक कब्ज़ से परेशान लोगों के लिए ओट्स एक हेल्दी और आसान विकल्प है।

क्या व्यायाम कब्ज़ में असर करता है?

  • हाँ, व्यायाम कब्ज़ की समस्या को दूर करने में काफी मददगार होता है।
  • नियमित रूप से टहलना, योग करना या हल्का व्यायाम करने से आंतों की मांसपेशियाँ सक्रिय रहती हैं
  • और मल आसानी से बाहर निकलता है। आलसी जीवनशैली कब्ज़ को बढ़ाती है
  • जबकि शारीरिक गतिविधि पाचन को मजबूत बनाती है।

क्या दूध कब्ज़ को बढ़ा सकता है?

  • कुछ लोगों में दूध और डेयरी उत्पाद कब्ज़ की समस्या बढ़ा देते हैं,
  • खासकर जिनको लैक्टोज इनटॉलरेंस होता है। अगर दूध पीने से कब्ज़ की परेशानी हो रही है तो
  • उसकी जगह छाछ या दही का सेवन करना चाहिए।
  • दूध की बजाय प्लांट बेस्ड विकल्प जैसे बादाम दूध या सोया मिल्क भी लिया जा सकता है।

क्या ज्यादा चाय और कॉफी कब्ज़ का कारण बन सकती है?

  • हाँ, चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन शरीर को डिहाइड्रेट कर देता है।
  • जब शरीर में पानी की कमी होती है तो मल सूख जाता है और कब्ज़ बढ़ जाती है।
  • दिनभर में 1–2 कप से ज्यादा चाय या कॉफी पीना कब्ज़ के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। बेहतर है कि इसकी जगह हर्बल टी या गुनगुना पानी पिया जाए।

क्या कब्ज़ के लिए लाइफस्टाइल बदलना ज़रूरी है?

  • हाँ, कब्ज़ केवल डाइट से नहीं बल्कि लाइफस्टाइल से भी जुड़ी समस्या है।
  • सही समय पर खाना खाना, पर्याप्त पानी पीना,
  • रोज़ाना व्यायाम करना और तनाव कम करना कब्ज़ को दूर रखने के लिए ज़रूरी है।
  • अनियमित खानपान, देर रात सोना और जंक फूड कब्ज़ को बढ़ाते हैं,
  • इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना सबसे अहम है।

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