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क्या कुछ खाने-पीने की चीज़ें कब्ज़ बढ़ा देती हैं? जानें विस्तार से:

क्या डेयरी उत्पाद कब्ज़ पैदा कर सकते हैं?

  • डेयरी उत्पाद जैसे दूध, चीज़, मक्खन और दही अक्सर पोषण का अच्छा स्रोत माने जाते हैं
  • लेकिन इनमें फाइबर बहुत कम होता है और लैक्टोज मौजूद होता है
  • जिससे कुछ लोगों में पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है खासकर जिन लोगों को लैक्टोज इंटॉलरेंस होता है
  • उनके पाचन तंत्र में दूध और दूध से बने उत्पाद आसानी से नहीं पच पाते जिससे गैस, पेट फूलना और कब्ज़ जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं
  • लगातार ज्यादा मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने से आंतों की गति धीमी हो सकती है और कब्ज़ की समस्या बढ़ सकती है

क्या रेड मीट खाने से कब्ज़ बढ़ सकती है?

  • रेड मीट यानी भेड़, बकरी या गाय का मांस प्रोटीन और आयरन से भरपूर होता है
  • लेकिन इसमें फाइबर लगभग नहीं होता इसे पचाने के लिए शरीर को ज्यादा समय लगता है और अक्सर इसे मसालेदार या तैलीय तरीके से बनाया जाता है
  • जिसके कारण पाचन तंत्र पर बोझ बढ़ता है और आंतों की गति धीमी हो जाती है
  • रेड मीट का ज्यादा सेवन मल को सख्त बना सकता है जिससे कब्ज़ की संभावना बढ़ती है

क्या प्रोसेस्ड फूड कब्ज़ की समस्या पैदा करते हैं?

  • पैकेट वाले स्नैक्स, चिप्स, कुकीज़, पिज़्ज़ा और बर्गर में बहुत कम फाइबर होता है और
  • इनमें नमक और शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है
  • ये शरीर को पानी रोकने यानी water retention के लिए मजबूर करते हैं जिससे स्टूल कठोर और सूखा हो सकता है इससे कब्ज़ की समस्या हो सकती है
  • साथ ही इन प्रोसेस्ड फूड्स में मौजूद प्रिज़र्वेटिव्स और रसायन आंतों की प्राकृतिक गति को भी प्रभावित कर सकते हैं

क्या तली हुई और हाई फैट चीज़ें कब्ज़ को बढ़ाती हैं?

  • तली हुई और वसायुक्त चीज़ें जैसे समोसा, पकोड़ा, फ्राईड चिकन और फ्रेंच फ्राइज पचने में अधिक समय लेती हैं
  • इनसे पाचन तंत्र की गति धीमी होती है और आंतों में मल को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी बल्क नहीं बन पाता इसके कारण कब्ज़ के लक्षण और बढ़ सकते हैं

क्या कच्चा केला कब्ज़ पैदा करता है?

  • केले का असर उसके पकने पर निर्भर करता है कच्चा या अधपका केला स्टार्च से भरपूर होता है
  • जो पचने में कठिन होता है और कब्ज़ पैदा कर सकता है वहीं पका हुआ केला घुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत है जो आंतों को साफ़ करने में मदद करता है
  • इसलिए कब्ज़ से परेशान व्यक्ति को पके केले खाना चाहिए लेकिन कच्चे केले से बचना चाहिए

क्या सफेद ब्रेड और मैदा कब्ज़ के लिए हानिकारक हैं?

  • सफेद ब्रेड, पास्ता, मैदा और अन्य रिफाइंड अनाज में फाइबर लगभग नहीं होता
  • इनसे शरीर को बल्क नहीं मिलता जिससे मल सूख सकता है और कठोर हो सकता है
  • यह स्थिति कब्ज़ को बढ़ावा देती है साबुत अनाज और ब्राउन ब्रेड की तुलना में सफेद ब्रेड कब्ज़ के खतरे को ज्यादा बढ़ाती है

क्या चॉकलेट खाने से कब्ज़ हो सकती है?

  • चॉकलेट में वसा की मात्रा अधिक होती है जो पाचन को धीमा कर सकती है बहुत से लोग बताते हैं
  • कि ज्यादा चॉकलेट खाने के बाद उन्हें कब्ज़ महसूस होती है
  • खासकर बच्चों और बुजुर्गों में इसका असर ज्यादा देखा जाता है
  • चॉकलेट के साथ अक्सर डेयरी और शुगर की मात्रा भी ज्यादा होती है जिससे पाचन तंत्र पर बोझ बढ़ सकता है

क्या कैफीन वाले पेय कब्ज़ को प्रभावित करते हैं?

कॉफी और चाय हल्के रेचक यानी लैक्ज़ेटिव की तरह काम कर सकते हैं लेकिन अगर इन्हें ज्यादा मात्रा में लिया जाए और पानी की कमी हो जाए तो शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है जिससे मल सख्त हो जाता है और कब्ज़ की समस्या बढ़ जाती है इसलिए कैफीन युक्त पेय का संतुलित सेवन ही सुरक्षित है

क्या शराब कब्ज़ का कारण बन सकती है?

  • शराब शरीर को डिहाइड्रेट करती है जिससे आंतों में पानी की मात्रा कम हो जाती है
  • इसके कारण मल सख्त हो जाता है और आंतों की गति धीमी हो जाती है जिससे कब्ज़ हो सकती है
  • साथ ही शराब के साथ अक्सर मसालेदार, तैलीय या प्रोसेस्ड फूड लिया जाता है जिससे कब्ज़ का खतरा और बढ़ जाता है

कब्ज़ से बचने के लिए क्या करें?

  • कब्ज़ से बचने के लिए हाई फाइबर डाइट का सेवन करना
  • चाहिए जिसमें फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और दालें शामिल हों पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, नियमित व्यायाम करना, प्रोसेस्ड और तली हुई चीज़ों से दूरी बनाना और नियमित समय पर भोजन करना
  • आंतों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है धीरे-धीरे खाने की आदत बदलकर और जीवनशैली सुधारकर कब्ज़ की समस्या को आसानी से रोका जा सकता है

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