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क्या ये कब्ज़ है या कुछ और? समय रहते पहचानें

लगातार कब्ज़ रहना कभी-कभी किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। जानिए कब सतर्क होना ज़रूरी है।

क्या लंबे समय तक बनी रहने वाली कब्ज़ सामान्य है?

  • कभी-कभी कब्ज़ कुछ दिनों के लिए होना आम बात है।
  • ये तब होता है जब आप पानी कम पीते हैं, फाइबर वाली चीज़ें नहीं खाते या तनाव में होते हैं।
  • लेकिन अगर कब्ज़ लगातार हफ्तों या महीनों तक बनी रहे, तो यह सामान्य नहीं है।
  • बार-बार पेट साफ़ न होना, मल का कठोर हो जाना, पेट में भारीपन और गैस जैसी दिक्कतें लगातार होना इस बात का संकेत हो सकता है कि शरीर में कुछ गड़बड़ है।

पुरानी कब्ज़ किस-किस बीमारी का संकेत हो सकती है?

लंबे समय तक रहने वाली कब्ज़ कुछ बड़ी बीमारियों का संकेत हो सकती है:
1. आंतों में सूजन (IBS – Irritable Bowel Syndrome): इसमें कब्ज़ के साथ पेट दर्द, सूजन और गैस भी होती है।
2. हाइपोथायरॉइडिज़्म: थायरॉइड कमज़ोर होने से पाचन धीमा हो जाता है, जिससे मल आंतों में रुक जाता है।
3. डायबिटीज़: हाई शुगर लेवल नर्व सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है जिससे पाचन धीमा हो सकता है।
4. कोलन कैंसर: अगर बार-बार कब्ज़ होती है, मल में खून आता है या वज़न कम हो रहा है तो यह कोलन या रेक्टल कैंसर का संकेत हो सकता है।
5. फिशर या पाइल्स: मल त्याग करते समय दर्द और खून आना, और कब्ज़ की वजह से गुदा की नसों में सूजन आना।

क्या मल में खून आना चिंता की बात है?

अगर कब्ज़ के साथ मल में खून आता है तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें। कभी-कभी यह सिर्फ पाइल्स की वजह से हो सकता है, लेकिन यह आंतों की बड़ी बीमारी का भी संकेत हो सकता है।
कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?

  • अगर खून बार-बार आ रहा है
  • मल की रंगत काली या बहुत गाढ़ी हो
  • मल के साथ म्यूकस या पस जैसा कुछ हो
  • अचानक वज़न गिरना शुरू हो जाए

क्या पुरानी कब्ज़ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है?

जी हां, जब कब्ज़ लंबे समय तक बनी रहती है तो सिर्फ शरीर नहीं, मन भी प्रभावित होता है।

  • लगातार पेट भारी रहने से थकान और चिड़चिड़ापन होता है
  • नींद खराब होती है
  • बार-बार टॉयलेट न आने की चिंता रहती है
  • कुछ लोगों में एंग्जायटी और डिप्रेशन भी देखा गया है

कब्ज़ को सिर्फ घरेलू नुस्खों से ठीक करना सही है या डॉक्टर से सलाह जरूरी है?

शुरुआत में कब्ज़ को घरेलू उपायों जैसे कि इसबगोल, त्रिफला, गर्म पानी, फाइबर युक्त आहार आदि से कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन अगर कब्ज़ 2 हफ्तों से ज़्यादा हो जाए या ऊपर बताए गए गंभीर लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना जरूरी है।
क्या जांच हो सकती है?

  • ब्लड टेस्ट
  • अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन
  • कोलोनोस्कोपी (आंतों की जांच)

कब्ज़ से जुड़ी कौन सी गलतफहमियाँ आम हैं?

1. “कब्ज़ तो बस खाना-पीना बिगड़ने से होती है”: नहीं, ये किसी अंदरूनी रोग का भी संकेत हो सकती है।
2. “ज्यादा लैक्सेटिव लेना ठीक है”: बार-बार लैक्सेटिव लेने से आंतें सुस्त हो जाती हैं।
3. “हर दिन मल आना ज़रूरी है”: नहीं, लेकिन 2–3 दिन से ज़्यादा रुकावट सही नहीं मानी जाती।

कब्ज़ को गंभीर बीमारी बनने से कैसे रोका जा सकता है?

  • रोज़ 8–10 गिलास पानी पिएं
  • भोजन में हरी सब्ज़ियाँ और फल ज़रूर लें
  • रात को हल्का और जल्दी खाएं
  • एक्सरसाइज़ या योग करें
  • नियमित समय पर टॉयलेट जाएं
  • अपने पाचन तंत्र की अनदेखी न करें

क्या तनाव भी कब्ज़ की वजह बन सकता है?

  • हां, मानसिक तनाव सीधा आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करता है।
  • जब आप तनाव में होते हैं तो शरीर का नर्वस सिस्टम गड़बड़ हो जाता है, जिससे आंतों की गति धीमी पड़ती है और मल ठीक से बाहर नहीं निकलता।
  • इसलिए ज़रूरी है कि आप रोज़ाना रिलैक्स करने के तरीके अपनाएं, जैसे कि ध्यान, योग, गहरी साँसें लेना या वॉक पर जाना।

क्या उम्र के साथ कब्ज़ की संभावना बढ़ जाती है?

  • जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है और मांसपेशियाँ कमज़ोर होती जाती हैं।
  • इससे आंतों में मल रुक सकता है और कब्ज़ हो सकती है।
  • बुजुर्गों को फाइबर वाला भोजन, ज़्यादा पानी और हल्का व्यायाम ज़रूरी होता है।

क्या दवाओं के कारण भी कब्ज़ हो सकती है?

  • हां, कई दवाएं जैसे पेनकिलर्स, आयरन सप्लीमेंट, ब्लड प्रेशर की दवाएं और डिप्रेशन की दवाएं भी कब्ज़ पैदा कर सकती हैं।
  • अगर किसी दवा से आपको लगातार कब्ज़ हो रही है, तो डॉक्टर से पूछें कि क्या उसकी जगह कोई और विकल्प है।

बच्चों में लगातार कब्ज़ क्यों होती है?

  • बच्चे अक्सर फाइबर कम खाते हैं, पानी कम पीते हैं और टॉयलेट जाने की आदत को टालते हैं। इससे उन्हें कब्ज़ हो जाती है।
  • कई बार खेलने या स्कूल जाने की जल्दी में बच्चे मल को रोक लेते हैं, जिससे बाद में गंभीर कब्ज़ हो सकती है।
  • उन्हें समय पर टॉयलेट जाना सिखाएं और खाने में फल-सब्ज़ियाँ बढ़ाएं।

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